Prithviraj chouhan

पृथ्वीराज चौहान को क्यूं याद किया जाए?
अंतिम दिल्ली सम्राट होने के कारण!!
हारे हुए सम्राट को याद कर भला कौन सी सभ्यता जीवित रहती है?
पृथ्वीराज चौहान को स्मरण करने का एकमात्र कारण है, कि जूझते रहने की परंपरा पृथ्वीराज चौहान के वैभव के अंत से ही शुरू होती है।
हम अंतिम दिल्ली सम्राट को याद नहीं कर रहे, हम उस परंपरा सरणी को स्मृति में जिलाए रखते हैं, जब गद्दी रहे न रहे पर धर्म रहना चाहिए, इस अंतराल में जयस्तंभपुर यानि रणस्तंभंवर (रणथंभौर) का पहला यमगृह व्रत (जौहर) में हम्मीर देव चौहान की रानी रंग देव द्वारा और पद्मला, देवलदेह आदि राजकुमारियों की जलसमाधि हो, या फिर कान्हड़देव चौहान, वीरमदेव चौहान का जालौर शाका हो।
हाडा़ चौहान, बूंदी चौहान, सोनागरा चौहान, खींची चौहान सब लड़ते रहे, बिखरते रहे, पुनः पुनः उठ खडे़ होते रहे पर जूझना ना भूले, भले ही दिल्ली साम्राज्य समाप्त हो गया परंतु चौहानों का जूझना नहीं छूटा।
इस जूझने की परंपरा की शुरूआत पृथ्वीराज चौहान से लगातार जुडी़ हुई है, इसलिए पृथ्वीराज चौहान को हम याद करते हैं, भले ही कितने ही चौहान आज कलमा पढे़ मिलेंगे पर जूझौती न छूटे, मर गये, मिट गये पर दिल्ली संकल्प नहीं भूले।
यहूदियों को ईजराईल से निर्वासित हुए दो हजार साल से ऊपर हो गये थे, पूरे विश्व में बिखरे यहूदी जब आपस में मिलते तो विदा लेते समय अभिवादन रहता था, अगले वर्ष जेरूशलम में मिलेंगे ।
चौहानो यह संकल्प हम भी नहीं भूले हैं, अगले वर्ष दिल्ली में मिलेंगे।
नोट- सम्राट पृथ्वीराज को जो अपना पुरखा मानते हैं तो लगातार जूझते रहने और सर कटाने वाली लिस्ट में नाम चैक करवाना, फिर आकर बताना कि पृथ्वीराज तुम्हारे बाप थे या नहीं!!
सम्राट पृथ्वीराज, अगले वर्ष आपकी दिल्ली में मिलेंगे
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Chauhan’s army had defeated Ghurids in several skirmishes and at Tarain in a full fledged battle but in second battle at Tarain ,they lost .
Ravindra Singh Basera Dev

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