दिखावा : राजपूतों की उन्नति को रोकती बीमारी

अशोक सिंह शेखावत :writing_hand:

एक छोटी सी कहानी

किसी गाँव मे रणधीर सिंह नाम का युवा रहता था ! पिताजी आपकी मेरी तरह (95% आम राजपुतो की भातिँ) किसान थे ! पिताजी का पुरा जीवन खेती बाडी के सहारे ओर शराब पीते हुये गुजरा ! मरते समय पिताजी 2 लाख का कर्ज बेटे रणधीर के माथे छोड़ गए ! बचपन से अभावो मे पला रणधीर शराब के परिणाम देख चुका था तो उसने कभी नही पी ! पिताजी स्वर्ग चले गए…ज़िम्मेदारियो का बोझ सिर पर आ गया ! साथ पढ़े गाँव के कुछ युवा शहर मे छोटी मोटी नौकरी करते थे तो रणधीर भी 4 पैसे कमाने उनके पास चला गया ! रणधीर अन्य लड़को से कुशल वक्ता, मेहनती था…हौसला रखता था… कुछ समय की नौकरी के बाद उसने खुद का ही छोटा सा व्यापार शुरू कर लिया ! ईश्वर की मेहर हुई, व्यापार चल निकला ! गाँव मे वृद्ध माँ , पत्नि ओर बच्चो के सुख के दिन आ गए ! व्यापार धीरे धीरे जमता ही जा रहा था ! रणधीर सिंह के पुरूषार्थ ने उसका जीवन बदल दिया था ! फिर शुरू होता है कहानी का दुसरा भाग

जैसा की हम 95% आम किसान, सैनिक परिवारो से बिलोंग करने वालों के साथ होता है… रणधीर भी रॉयल, रहीस, बड़े राजपुतो की तरह खुद को प्रजेंट करने लगा ! अभी उसकी हेसियत swift गाडी अफोर्ड करने की थी लेकिन गाँव मे अपना ठरका दिखाना था तो 17 लाख वाली स्कोर्पियो गाडी निकाली ! गाँव मे वो 15 लाख का मकान उसके लिए काफी था लेकिन गाँव मे धाक जमानी थी इसलिय व्यापार से पुंजी निकाल कर 35 लाख मकान मे लगा ड़ाले ! 21, 51 हजार रूपये गाँव के मंदिर, गौशाला मे दान देकर वो अब खुद को मेघराज सिंह रॉयल ओर प्रेम सिंह बाजोर की भांती खुद को प्रजेंट करने लगा था ! छोटे मोटे कार्यक्रम मे भी गाँव, रिश्तेदारी मे वो अपना ठरका दिखाने काम धन्धा छोड़ कर, गाडी लेकर जाता था ! गाँव के पुराने दोस्तो को ओबलाईज करने के लिए अब वो उन पर खर्चा कर देता… बीयर पी भी लेता था ! धीरे धीरे ऐसा होने लगा की जब रणधीर गाँव होता तो दिन मे ही दोस्तो के साथ दारू -मीट वाली पार्टी करने लगा ! शहर मे भी उसकी ऐसी ही बना लोगो की टोली बन चुकी थी ज़िनके साथ अब रोजाना ही रणधीर पार्टी करता ओर खुद को रॉयल बना टाईप फील करता !

अब रणधीर अपने पिता की लाईन पकड चुका था ! 4 बजे ही उसे दारू की तलब शुरू हो जाती ! कर्मचारियो को भी पोल मिल गयी थी ! व्यापार डूबना ही था ! रणधीर बैंको के लोन नही चुका पाया, गाडी भी फाईनेंस वाले ले गए ! अच्छे समय मे जो दारूबाज बना दोस्त बने थे वो उधार लेकर खा गए ! रणधीर चुंकी रोयल लाईफ जी चुका था तो पुन: मेहनत, मजदूरी कर नही सकता था… परेशान होकर रणधीर हमेशा के लिए अपने गाँव आ गया ! शराब की लत लग चुकी थी ! अब रणधीर सुबह उठ कर शराब पीता है… अगर ना पिये तो हाथ कांपने लगते हैं !

रणधीर वापस वहीं पहुँच गया जहां उसे उसके पिता छोड़ कर गए थे ! क्युकी रणधीर शराब से नही बच पाया ! झूठे दिखावे मे पड गया ! लोफर बना लोगो की संगत से खुद को नही बचा पाया ! व्यापार के नियमो का पालन नही किया !

अशोक सिंह शेखावत
सहणुसर

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