ओबीसी राजनीति का सत्य: दिलीप मंडल का उदाहरण

ब्राह्मणवाद का विरोध भारत में हरिजन क्रांति की मूल कारक रही है । फूले ,अम्बेडकर , पेरियार ने इसे हरिजन क्रांति के पुरोधक के रूप में स्वीकार किया व ब्राह्मणवाद से हरिजनों को मुक्त करवाने में ही उन्होंने इसे हरिजनों के सामाजिक विकास के रूप में स्थापित किया।

वर्तमान उत्तर भारतीय इलाकों में जब हरिजन केंद्रित पत्रकारों की बात आती है तो ओबीसी(अहीर) समाज से आए दिलीप मंडल का नाम भी शामिल किया जाने लगा है।

परंतु राजनैतिक पाठ्यक्रम पठित दिलीप मंडल एक तरफ क्षत्रियों को हारा हुआ बताकर “वर्ण व्यवस्था में भेदभाव” के लिए भी क्षत्रियों को ही जिम्मेदार कहता है वहीं दूसरी तरफ "मराठी ब्राह्मण परियोजना (आरएसएस) समर्थित होकर क्षत्रीय महापुरुष की जाति भी बदल देता है।


Dilip Mandal Twitter

ध्यान देने योग्य है ब्राह्मणवाद का विरोध करने वाला दिलीप मंडल अकेडमीय संस्थानों,संगठनों में बैठे ब्राह्मण - बनिया वर्ग का भी समर्थन करने लगता है…क्यों? क्योंकि यह एक ही व्यवस्था के लोग हैं। जहां एक और दिलीप मंडल हरिजन का चोला ओढ़े अहीर राजनीति पर केंद्रित है वहीं दूसरी तरफ ब्राह्मणवाद समर्थित भी।

यही कारण है की ThePrintIndia के बनिया सवर्ण शेखर गुप्ता जी को रविन्द्र जडेजा द्वारा खुदको #rajputboy बोलने से दिक्कत है; मगर वे घोर जातिवादी दिलीप मंडल की भड़काऊ जातिवाद से दिक्कत होना तो दूर वो इसे मौन रहकर समर्थन करते हैं।

स्वयं सवर्ण शेखर गुप्ता ऐसा करते हैं व दिलीप मंडल को इससे समस्या नहीं। (दोनों एक दूसरे के पूरक की तरह कार्य करते हैं)


Shekhar Gupta Twitter

एक तरफ दिलीप मंडल अपना दोगलापन दिखाते हैं दूसरी तरफ क्षत्रिय समाज के प्रति जातिगत दुष्प्रचार और सामाजिक ज़हर फैलाते हैं।

क्या ब्राह्मणवादी दिलीप मंडल किसी क्षत्रीय एलीट,संगठन के इंतजार में हैं कि वे आपके क्षत्रीय समाज के प्रति फैलाए गए सामाजिक जहर के लिए प्रतिकार करें और फिर आप इस प्रतिकार को शेखर गुप्ता संस्थापित Theprint में बैठ इसे “क्षत्रियों द्वारा ओबीसी पत्रकार के शोषण के रुप में” प्रचारित करें?


दिलीप मंडल ( ThePrint )

इसलिए मैं मुस्लिम, left Right, सवर्ण , बहुजन की राजनीति को नहीं मानता क्योंकि यह असली power structure को छिपाने के बहाने है। सवर्ण गुप्ताजी और बहुजन मंडल जी , दोनों एक ही पावर hegemony का हिस्सा हैं

दिलीप मंडल की जातिगत राजनीति का विश्लेषण

यहां दिलीप मंडल पैरवी कर रहे हैं ताकि कोई रणदीप हुड्डा(जाट)के मायावती(दलित नेता) पर अपशब्द वाले बयान को लेकर जाट समाज को टारगेट ना करे। मगर वास्तविकता कुछ और ही है।

ये वही दिलीप मंडल है जो पृथ्वीराज चौहान की हार के बहाने पूरे क्षत्रिय समाज को एक तरफ नीचा दिखाते हैं फिर उसी पृथ्वीराज चौहान को गुज्जर बना देते हैं|क्या कारण हो सकता है, इस घनघोर दोगलेपन का ?

जब क्षत्रिय समाज से कोई अपराधी अपराध करे तो पूरे समाज को टारगेट करेंगे। मगर यदि जाट गुज्जर अहीर समाज के गुंडे जातिवादी अपराध करें, तो ये मौन हो जाते हैं।


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प्रोफेसर दिलीप मंडल हनुमान बेनीवाल पर कुछ नहीं बोलते?क्या इतने बड़े दलित नरसंहार की खबर आपको नहीं मिलती?

मंडल साहब दिन भर सामाजिक न्याय के नाम पर सवर्ण को गाली मारते हैं, जिसमे हम क्षत्रियों को भी क्लब करते हैं जबकि हमारा कोई representation बचा नहीं है।

मगर ये शेष ओबीसी वर्ग को यह नहीं बताएंगे की उनका आरक्षण जाट गुज्जर अहीर खा रहे हैं।

https://indianexpress.com/article/india/jobs-admissions-97-of-central-obc-quota-benefits-go-to-just-under-25-of-its-castes-5482443/lite/?__twitter_impression=true

इनकी पूरी राजनीति यही है कि बहुजन के नाम पर समूचे ओबीसी वर्ग , एससी, उन्हें outraged रखो ताकि कोई भी जाट गुज्जर अहीर के जातिगत रिज़र्वेशन पर प्रश्न ना उठाए।
अब क्षत्रियों के पास कोई प्रिविलेज तो है नहीं इसलिए कभी पृथ्वीराज-मिहिरभोज “गुज्जर” तो कभी "यदुवंशी" “आलहा-ऊदल "अहीर”।

कभी पृथ्वीराज चौहान , मिहिरभोज प्रतिहार को गुज्जर और यदुवंशी क्षत्रियों एवं बनाफर राजपूत आल्हा ऊदल को अहीर बनाकर शेष ओबीसी एससी, एसटी और क्षत्रिय समाज को आपस में भिड़ाओ; और जाट - गुज्जर - अहीर का असीमित फायदा कराओ।

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